Friday, December 8, 2023

कोठी पे कोठी बनाई के - Kothi Pe Kothi Banay Ke - LYRICS -

कोठी पे कोठी बनाई के मेरी बुढ़िया मारी गम खाय के

जब बुढ़िया को बेटा रोवे, रोवै खाट बिछाए के 
मेरी बुढ़िया ...
कोठी पे कोठी बनाई के मेरी बुढ़िया मारी गम खाय के

जब बुढ़िया की बहुएं रोवै, रोवें विक्स लगाए के 
मेरी बुढ़िया...
कोठी पे कोठी बनाई के मेरी बुढ़िया मारी गम खाय के

जब बुढ़िया की बेटी रोवै, रोवै रूदन मचल के
मेरी बुढ़िया...
कोठी पे कोठी बनाई के मेरी बुढ़िया मारी गम खाय के

जब बुढ़िया के पोते रोवै, रोबैं कफन udhay के
मेरी बुढ़िया...
कोठी पे कोठी बनाई के मेरी बुढ़िया मारी गम खाय के

जब बुढ़िया को बुड्ढा रोवै, रोवै सिंदूर लगाए के
मेरी बुढ़िया...
कोठी पे कोठी बनाई के मेरी बुढ़िया मारी गम खाय के

जब बुढ़िया को भैया रोवै, रोवै चुनार udhay के
मेरी बुढ़िया...
कोठी पे कोठी बनाई के मेरी बुढ़िया मारी गम खाय के

जब बुढ़िया की सखियां रोवै, रोवै गाय बजाय के
मेरी बुढ़िया...
कोठी पे कोठी बनाई के मेरी बुढ़िया मारी गम खाय के


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