Tuesday, October 19, 2021

Sharad Purnima- शरद पूर्णिमा - एक विशेष जानकारी

*🌕शरद पूर्णिमा🌕*
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🌏     वर्ष के बारह महीनों में ये पूर्णिमा ऐसी है, जो तन, मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। इस पूर्णिमा को चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, तो धन की देवी महालक्ष्मी रात को ये देखने के लिए निकलती हैं कि कौन जाग रहा है और वह अपने कर्मनिष्ठ भक्तों को धन-धान्य से भरपूर करती हैं।

🌏    शरद पूर्णिमा का एक नाम *कोजागरी पूर्णिमा* भी है यानी लक्ष्मी जी पूछती हैं- कौन जाग रहा है? अश्विनी महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में होता है इसलिए इस महीने का नाम अश्विनी पड़ा है। 

🌓      एक महीने में चंद्रमा जिन 27 नक्षत्रों में भ्रमण करता है, उनमें ये सबसे पहला है और आश्विन नक्षत्र की पूर्णिमा आरोग्य देती है। 

🌎    केवल शरद पूर्णिमा को ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से संपूर्ण होता है और पृथ्वी के सबसे ज्यादा निकट भी। चंद्रमा की किरणों से इस पूर्णिमा को अमृत बरसता है।

🌏    आयुर्वेदाचार्य वर्ष भर इस पूर्णिमा की प्रतीक्षा करते हैं। जीवनदायिनी रोगनाशक जड़ी-बूटियों को वह शरद पूर्णिमा की चांदनी में रखते हैं। अमृत से नहाई इन जड़ी-बूटियों से जब दवा बनायी जाती है तो वह रोगी के ऊपर तुंरत असर करती है।

🌓   चंद्रमा को वेदं-पुराणों में मन के समान माना गया है- *चंद्रमा मनसो जात:।* वायु पुराण में चंद्रमा को जल का कारक बताया गया है। प्राचीन ग्रंथों में चंद्रमा को औषधीश यानी औषधियों का स्वामी कहा गया है। 

🌏   ब्रह्मपुराण के अनुसार- सोम या चंद्रमा से जो सुधामय तेज पृथ्वी पर गिरता है उसी से औषधियों की उत्पत्ति हुई और जब औषधी 16 कला संपूर्ण हो तो अनुमान लगाइए उस दिन औषधियों को कितना बल मिलेगा।

🌏   शरद पूर्णिमा की शीतल चांदनी में रखी खीर खाने से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं। ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन और भाद्रपद मास में शरीर में पित्त का जो संचय हो जाता है, शरद पूर्णिमा की शीतल धवल चांदनी में रखी खीर खाने से पित्त बाहर निकलता है। 

🌓    लेकिन इस खीर को एक विशेष विधि से बनाया जाता है। पूरी रात चांद की चांदनी में रखने के बाद सुबह खाली पेट यह खीर खाने से सभी रोग दूर होते हैं, शरीर निरोगी होता है।

🌏   शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते हैं। स्वयं सोलह कला संपूर्ण भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ी है यह पूर्णिमा। इस रात को अपनी राधा रानी और अन्य सखियों के साथ श्रीकृष्ण महारास रचाते हैं। 

🌏   कहते हैं जब वृन्दावन में भगवान कृष्ण महारास रचा रहे थे तो चंद्रमा आसमान से सब देख रहा था और वह इतना भाव-विभोर हुआ कि उसने अपनी शीतलता के साथ पृथ्वी पर अमृत की वर्षा आरंभ कर दी।

🌓  गुजरात में शरद पूर्णिमा को लोग रास रचाते हैं और गरबा खेलते हैं। मणिपुर में भी श्रीकृष्ण भक्त रास रचाते हैं। पश्चिम बंगाल और ओडिशा में शरद पूर्णिमा की रात को महालक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस पूर्णिमा को जो महालक्ष्मी का पूजन करते हैं और रात भर जागते हैं, उनकी सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।

🌏   ओडिशा में शरद पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। आदिदेव महादेव और देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म इसी पूर्णिमा को हुआ था। गौर वर्ण, आकर्षक, सुंदर कार्तिकेय की पूजा कुंवारी लड़कियां उनके जैसा पति पाने के लिए करती हैं। 

🌏   शरद पूर्णिमा ऐसे महीने में आती है, जब वर्षा ऋतु अंतिम समय पर होती है। शरद ऋतु अपने बाल्यकाल में होती है और हेमंत ऋतु आरंभ हो चुकी होती है और इसी पूर्णिमा से कार्तिक स्नान प्रारंभ हो जाता है।
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Monday, October 18, 2021

ओ माली माली माली - O mali Mali Mali - LYRICS-

ओ माली माली माली चार फूल दे दे, 
दो राम को चढ़ाऊंगी दो श्याम को चढ़ाऊंगी
राम रमैया कृष्ण kanahiya दोनो को मनाऊंगी
दो राम को...

निश दिन फेरू राम की माला राम की माला श्याम की माला
एक चंद्र है एक सूर्य है दोनो जग में करें उजाला
राम रमैया कृष्ण kanahiya दोनो को मनाऊंगी
दो राम को...

एक भीलनी के बेर चबावे माखन ब्रज से एक चुरावे
एक रामायण के नायक हैं एक गीता के छंद रचावे
राम रमैया कृष्ण kanahiya दोनो को मनाऊंगी

दो राम को...

Wednesday, October 13, 2021

मैया री मैं तो सारे में ढूंढ आई - Maiya Ri Main To Saare Me Dhundh Aayi - LYRICS-

मैया री मैं तो सारे में ढूंढ आई पर तेरी डगर न पाई

कोई तो आया इधर उधर से में तो सीधे रास्ते आई
पर तेरी डगर न पाई
मैया री मैं तो सारे में ढूंढ आई पर तेरी डगर न पाई

कोई तो लाया घोड़ा गाड़ी मैया री मैं तो पैदल पैदल आई
पर तेरी डगर न पाई
मैया री मैं तो सारे में ढूंढ आई पर तेरी डगर न पाई

कोई तो लाया मैया लहंगा चोली मैया री मैं तो लाल चुनरी लाई
पर तेरी डगर न पाई
मैया री मैं तो सारे में ढूंढ आई पर तेरी डगर न पाई

कोई तो लाया मैया ध्वजा नारियल मैया री मैं तो लौंग बतासे लाई   पर तेरी डगर न पाई
मैया री मैं तो सारे में ढूंढ आई पर तेरी डगर न पाई

कोई तो मांगे मैया धन और दौलत मैया री मैं तो कृपा मांगने आई   पर तेरी डगर न पाई
मैया री मैं तो सारे में ढूंढ आई पर तेरी डगर न पाई

Monday, October 11, 2021

धीरे धीरे खेलो भवानी - Dheere Dheere Khelo Bhavaani - LYRICS-

धीरे धीरे खेलो भवानी मेरो छोटो अंगनवा

खेलत खेलात मैया लौरा के घर गईं 
ले आईं पान का पत्ता मेरो छोटो ....

खेलत खेलत मैया माली के घर गईं
ले आईं फूलों की माला  मेरो छोटो...

खेलत खेलत मैया दर्जी के घर गईं
ले आईं ध्वजा लहरिया   मेरो छोटो ...

खेलत खेलत मैया बनिया के घर गईं
ले आईं लौंग नरियला   मेरो छोटो ....

खेलत खेलत मैया गईं मढिया में
भक्तों को दर्शन दिखाए मेरो छोटो ....

काली खड़ी लिए तलवार - Kali Khadi Liye Talvaar - LYRICS-

काली खड़ी लिए तलवार दानव घेर घेर के मारे
घेर घेर के मारे दानव घेर घेर के मारे  काली.....

ब्रह्मा भी उनसे हारे विष्णु भी उनसे हारे
नारद पड़े शरण में आए   दानव....

राम भी उनसे हारे लक्ष्मण भी उनसे हारे
हनुमत पड़े शरण में आए   दानव....

कान्हा भी उनसे हारे दाऊ भी उनसे हारे
ग्वाले पड़े शरण में आए  दानव  ....
लांगुर भी उनसे हारे भैंरो भी उनसे हारे
भक्त पड़े शरण में आए    दानव ....

Wednesday, October 6, 2021

आया नवरात्रों का त्योहार है - Aaya Nav Rashtron Ka Tyohaar Hai - LYRICS-matarani

आया नवरात्रों का त्योहार है हुई घर घर में जैजैकार है

मां को टीका पहनाया मां को बिंदिया लगाई
और सिंदूर लगाया लाल है हुई घर घर में....
आया नवरात्रों का त्योहार है हुई घर घर में जैजैकार है

मां को कंगन पेहाए मां को चूड़ियां पहनाई
और मेंहदी लगाई लाल लाल है हुई घर घर में....
आया नवरात्रों का त्योहार है हुई घर घर में जैजैकार है

मां को पायल पहनाई मां को बिछुए पहनाए
और महाबर लगाया लाल लाल है हुई घर घर में....
आया नवरात्रों का त्योहार है हुई घर घर में जैजैकार है

मां को लहंगा पहनाया मां को चोली पहनाई 
और चुनरी ओढ़ाई गोटेदार है हुई घर घर में ....
आया नवरात्रों का त्योहार है हुई घर घर में जैजैकार है

Monday, October 4, 2021

वन की मोर बनाईयो मेरे मोहन -Van Ki Mor Banaiye Mere Mohan - LYRICS-

वन की मोर बनाइय मेरे मोहन चुगत फिरुं गलियों में

कहां पे रहती कहां पे चुगती कहां करती किलोल
मेरे मोहन चुगत फिरुं गलियों में

मथुरा रहती वृंदावन चुगती गोकुल करती किलोल
मेरे मोहन चुगत फिरुं गलियों में

गोवर्धन को गोल चौंतरा बैठती पंख मरोर 
मेरे मोहन चुगत फिरुं गलियों में

उड़ उड़ पंख गिरे धरती पे वीनात नन्द किशोर
मेरे मोहन चुगत फिरुं गलियों में

बिन पंख को मुकुट बानायो पहनत नन्द किशोर
मेरे मोहन चुगत फिरुं गलियों में


Saturday, October 2, 2021

रंग बरसे रंग बरसे दरबार - Rang Barse Darbaar bhavaani - LYRICS-https://youtu.be/QNTZ3BV6QWs

रंग बरसे रंग बरसे दरबार भवानी रंग बरसे

कौने तो मैया तेरो भवन बनाया, कौने जलाई तेरी जोत
भवानी रंग बरसे
रंग बरसे रंग बरसे दरबार भवानी रंग बरसे

अर्जुन ने तेरो भवन बनाया, पांडव जलाई तेरी जोत
भवानी रंग बरसे
रंग बरसे रंग बरसे दरबार भवानी रंग बरसे

कौने तो मैया तेरो छत्र चढ़ाया,कौने चढ़ाई तेरी भैंट
भवानी रंग बरसे
रंग बरसे रंग बरसे दरबार भवानी रंग बरसे

अकबर ने मैया छत्र चढ़ाया, ध्यानू चढ़ाई तेरी भेंट 
भवानी रंग बरसे
रंग बरसे रंग बरसे दरबार भवानी रंग बरसे

कौने मैया तेरी जोत जलाई, कौने करायो जगरातो
भवानी रंग बरसे
रंग बरसे रंग बरसे दरबार भवानी रंग बरसे

हमने तो मैया जोत जलाई, राजा करावें जगराता
भवानी रंग बरसे
रंग बरसे रंग बरसे दरबार भवानी रंग बरसे