Friday, April 29, 2022

ग्यारस उपासी रह ले रे - Gyaras Upasi Reh Le Re - LYRICS-https://youtu.be/5UU0FG3TKDA

ग्यारस उपासी रह ले रे  तेरो तर जाएगा जीयरा
तर जाएगा जीयरा सम्बर जाएगा जीयरा

गंगा यमुना और त्रिवेणी तीनों में गोता लगा ले रे
तेरो तर जाएगा जीयरा

ग्यारस उपासी रह ले रे  तेरो तर जाएगा जीयरा
तर जाएगा जीयरा सम्बर जाएगा जीयरा


मात पिता और गुरु अपने की तीनों के वचनों पे चल re
तेरो तर जाएगा जीयरा

ग्यारस उपासी रह ले रे  तेरो तर जाएगा जीयरा
तर जाएगा जीयरा सम्बर जाएगा जीयरा

सास ससुर और पति अपने की तीनों की सेवा कर ले
तेरो तर जाएगा जीयरा

ग्यारस उपासी रह ले रे  तेरो तर जाएगा जीयरा
तर जाएगा जीयरा सम्बर जाएगा जीयरा

मान भांजा और जेठौत तीनों का आदर कर ले
तेरो तर जाएगा जीयरा

ग्यारस उपासी रह ले रे  तेरो तर जाएगा जीयरा
तर जाएगा जीयरा सम्बर जाएगा जीयरा

बेटा मैया को कर्ज बड़ो भारो - Beta Maiya Ko Karj Bado Bhaaro- LYRICS-https://youtu.be/3qsJ4Tp7cl8

बेटा मैया को कर्ज बड़ो भारों तो पे चुके न जीवन सारो

नौ महीना तोए गर्भ में राखो बेटा मोए जब भी न लगो तू भाराे
मैया को कर्ज बड़ो भारो
बेटा मैया को कर्ज बड़ो भारों तो पे चुके न जीवन सारो

गीले में सोई में सूखे में सुलायो बेटा मोए जब भी न लगो जाड़ो
मैया को कर्ज बड़ो भारो
बेटा मैया को कर्ज बड़ो भारों तो पे चुके न जीवन सारो

जब बेटा तोए भूख लगी है बेटा नस नस को दूध पिवायो
मैया को कर्ज बड़ो भारो
बेटा मैया को कर्ज बड़ो भारों तो पे चुके न जीवन सारो

जब बेटा मैंने पढ़वे भेजो BA पास करायो
मैया को कर्ज बड़ो भारो
बेटा मैया को कर्ज बड़ो भारों तो पे चुके न जीवन सारो

जब बेटा तेरे ब्याह रचायो बेटा तू दुल्हन घर में लायो
मैया को कर्ज बड़ो भारो
बेटा मैया को कर्ज बड़ो भारों तो पे चुके न जीवन सारो

जब तेरी दुल्हन कड़वा बोले बेटा तेरे मुख से लग गयो तारो
मैया को कर्ज बड़ो भारो
बेटा मैया को कर्ज बड़ो भारों तो पे चुके न जीवन सारो

Wednesday, April 20, 2022

कमा ले नर हीरे मोती - Kama Le Nar Heere Moti - LYRICS-https://youtu.be/3qFEKT5S00Y

कमा ले नर हीरे मोती कफन में जेब नहीं होती


चाहे तू खा ले पूड़ी कचौड़ी चाहे तू खा ले सुखी रोटी
भूख सब एक सी होती कफन में जेब नहीं होती
कमा ले नर हीरे मोती कफन में जेब नहीं होती


चाहे तू पी ले कोको कोला छह तू पी ले सादा पानी
प्यास सब एक सी होती कफन में जेब नहीं होती
कमा ले नर हीरे मोती कफन में जेब नहीं होती

चाहे तू सो ले मखमल के गद्दे चाहे तू सो खाट पे
नींद सब एक सी होती कफन में जेब नहीं होती
कमा ले नर हीरे मोती कफन में जेब नहीं होती

Tuesday, April 19, 2022

राम नाम मुख बोल - Ram Naam Mukh Bol - LYRICS-https://youtu.be/NHWEJrBBrMc

राम नाम मुख बोल रे पंछी बाबरिया  २

झूठा सपना न कोई अपना मतलब का संसार
 रे पंछी बाबरिया  
राम नाम मुख बोल रे पंछी बाबरिया  २


पराए धन को मिट्टी समझना पूरा पूरा तोल
 रे पंछी बाबरिया  
राम नाम मुख बोल रे पंछी बाबरिया  २


पराई नार को मात समझना पराई बहन को बहन समझना
मन आवे जहां डोल रे पंछी बाबरिया  
राम नाम मुख बोल रे पंछी बाबरिया  २


ज्ञान सरोवर मल मल नहा ले ज्ञान का साबुन खूब लगा ले
मन के मैल छुड़ाए रे पंछी बाबरिया  
राम नाम मुख बोल रे पंछी बाबरिया  २


छोड़ दे बहना तेरी मेरी छोड़ दे भैया छोड़ बुराई
हो जा भाव से पार रे पंछी बाबरिया  
राम नाम मुख बोल रे पंछी बाबरिया  २

Wednesday, April 6, 2022

ek adbhut kavita -

*बहुत सुंदर प्रयास एक बार ध्यान से पढ़िएगा 🌸🌸🌸*

कभी हिन्दी वर्णमाला का क्रमबद्ध इतना सुन्दर प्रयोग आप की अद्भुत अद्वितीय अविस्मरणीय कह उठेंगे...   

यह कविता जिसने भी लिखी प्रशंसनीय है।
हिन्दी वर्णमाला का क्रम से कवितामय प्रयोग-बेहतरीन है।

*वंदन करते हैं उस कवि का*

*अ* चानक
*आ* कर मुझसे
*इ* ठलाता हुआ पंछी बोला
*ई* श्वर ने मानव को तो
*उ* त्तम ज्ञान-दान से तौला
*ऊ* पर हो तुम सब जीवों में
*ऋ* ष्य तुल्य अनमोल
*ए* क अकेली जात अनोखी
*ऐ* सी क्या मजबूरी तुमको
*ओ* ट रहे होंठों की शोख़ी
*औ* र सताकर कमज़ोरों को
*अं* ग तुम्हारा खिल जाता है
*अ:* तुम्हें क्या मिल जाता है.?
*क* हा मैंने- कि कहो
*ख* ग आज सम्पूर्ण
*ग* र्व से कि- हर अभाव में भी
*घ* र तुम्हारा बड़े मजे से
*च* ल रहा है
*छो* टी सी- टहनी के सिरे की
*ज* गह में, बिना किसी
*झ* गड़े के, ना ही किसी
*ट* कराव के पूरा कुनबा पल रहा है
*ठौ* र यहीं है उसमें
*डा* ली-डाली, पत्ते-पत्ते
*ढ* लता सूरज
*त* रावट देता है
*थ* कावट सारी, पूरे
*दि* वस की-तारों की लड़ियों से
*ध* न-धान्य की लिखावट लेता है
*ना* दान-नियति से अनजान अरे
*प्र* गतिशील मानव
*फ़* रेब के पुतलो
*ब* न बैठे हो समर्थ
*भ* ला याद कहाँ तुम्हें
*म* नुष्यता का अर्थ.?
*य* ह जो थी, प्रभु की
*र* चना अनुपम...
*ला* लच-लोभ के 
*व* शीभूत होकर
*श* र्म-धर्म सब तजकर
*ष* ड्यंत्रों के खेतों में
*स* दा पाप-बीजों को बोकर
*हो* कर स्वयं से दूर
*क्ष* णभंगुर सुख में अटक चुके हो
*त्रा* स को आमंत्रित करते
*ज्ञा* न-पथ से भटक चुके हो।
*श्रे* ष्ठ पथ पर बढ़े चलो। 


*अंग्रेजी के अल्फाबेट्स पर बहुत कुछ पढ़ा होगा... पहली बार हिंदी में👍*