न मैंने देखे जनकपुरी में, न बाबुल के साथ
अंगूठी कहां से लाए हैं
न मैंने देखे अवधपुरी में, न रघुवर के साथ
अंगूठी कहां से लाए हैं
न देखे मैंने गंगा तट पे, न केवट के पास
अंगूठी कहां से लाए हैं
न देखे मैंने चित्रकूट पे, न ऋषियों के साथ
अंगूठी कहां से लाए हैं
न देखे मैंने पंचवटी पे, न लक्ष्मण के साथ
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