अमर कथा जब लगे सुनाने गौरा को त्रिपुरार
उमा के पड़ गए सोता हुंकरा दे रहो तोता
ओहो उमा के पड़ गए सोता हुंकरा दे रहो तोता
अमर कथा शंकर ने जब गौरा को है सुनाई
कथा हुई न पूरी नींद उमा को आई
मालूम नहीं पड़ा शंकर को तोते की हुंकार
उमा के पड़ गए सोता....
नींद से गौरा जागीं मन सोच करें अति भारी
बोलीं शंकर जी से प्रभु लग गई आंख हमारी
आधी कथा सुनी है हमने आधी दो सुनाए
उमा के पड़ गए सोता....
बोले शंकर जी जब ये कथा सुनी है जिसने
जिंदा न छोडूंगा जो दिया हुंकरा जिसने
आगे आगे तोता भागे पीछे से त्रिपुरार
उमा के पड़ गए सोता....
भागत भागत तोता मन सोच करे अति भारी
हाथ जोड़ सुआ थाड़ो खता कर दो माफ हमारी
अमर कथा हमने सुन लीनी करो जग का उद्धार
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