जिस अंगना में ये रस बरसे वहां आते हैं मदन गोपाला
इस प्याले को मीरा पी गई, वो विष अमृत कर डाला
कोई पिए हरी रस प्याला..
ध्रुव पी गए प्रहलाद भी पी गए, जंगल में मंगल कर डाला
कोई पिए हरी रस प्याला...
इस प्याले को शबरी पी गई, वो हरी दर्शन दे डाला
कोई पिए राम रस प्याला...
इस प्याले को नरसी पी गए, पतले पे दरस दे डाला
कोई पिए राम रस प्याला...
ऋषि मुनि सब संत भी पी गए, तान मन निर्मल कर डाला