आया आया रे मेरी मां का जया वीर मैं आरती उतार रही
द्वारे मैंने कलश धराये वंदनवार सजाए
मोतियां चेक पूरे मैने चौकी बीच बिछाई
गले माला पहनाऊं मेरे वीर मैं आरती उतार रही
श्याम सलोना भैया मेरा रुकमिन जैसी भाभी
दिल में मेरे खुशी बहुत है भात की शुभ घड़ी आई
में कैसे बांधों अपना धीर मैं आरती उतार रही
अंखियों में हैं प्रेम के आंसू मन मेरा मुस्काए
प्यारा भैया लाल चुनरिया सिर पे मेरे उड़ाए
मेरे बाबुल देवें आशीष मैं आरती उतार रही
युग युग जीवन भैया भाभी जीवन में सुख पावें
कहूं प्रभु से हाथ जोड़कर विपदा न कोई आवे
मेरी विनती सुनो रघुवीर मैं आरती उतार रही
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