कहां पे रहती कहां पे चुगती कहां करती किलोल
मेरे मोहन चुगत फिरुं गलियों में
मथुरा रहती वृंदावन चुगती गोकुल करती किलोल
मेरे मोहन चुगत फिरुं गलियों में
गोवर्धन को गोल चौंतरा बैठती पंख मरोर
मेरे मोहन चुगत फिरुं गलियों में
उड़ उड़ पंख गिरे धरती पे वीनात नन्द किशोर
मेरे मोहन चुगत फिरुं गलियों में
बिन पंख को मुकुट बानायो पहनत नन्द किशोर