Thursday, November 21, 2019

Rishi Valmiki Ki Kutiya Mein - Lyrics

ऋषि वाल्मीकि की कुटिया में एक सीता प्यारी रहती हैं
जंगल में आग जब लगती है उसे सभी बुझाने आते हैं
जब में में आग लग जाती है उसे कोई बुझा नहीं पाता है
ऋषि वाल्मीकि की कुटिया में एक सीता प्यारी रहती हैं

कपड़े में दाग जब लगता है साबुन से मिटाया जाता है
जब कुल में दाग लग जाता है उसे कोई छुड़ा नहीं पाता
ऋषि वाल्मीकि की कुटिया में एक सीता प्यारी रहती हैं

जब तन से कपड़ा फटता है सुई द्धगे से वो दिल जाता है, जब दिल से दिल फट जाता है उसे कोई भी दिल नहीं पाता है
ऋषि वाल्मीकि की कुटिया में एक सीता प्यारी रहती हैं

जो गहरी नींद में सो जाए उसे सभी जगाने आते है
जो हरी की नींद में सो जाए उसे कोई जगा नहीं पाता है
ऋषि वाल्मीकि की कुटिया में एक सीता प्यारी रहती हैं

जो ठोकर खाकर गिर जाए उसे सभी उठने आते हैं
जो नज़रों से गिर जाता है उसे कोई उठा नहीं पाता है
ऋषि वाल्मीकि की कुटिया में एक सीता प्यारी रहती हैं

No comments:

Post a Comment