हरी को अपना मान के तेरी लगन लगी भगवान से
जहर के प्याले रणजी ने भेजे ले जा मीरा के पास रे
नहाय धोए मीरा पीवन बैठी जहर का अमृत होय रे
ओहो बंसी वाले तू कल फिर आना नहीं फिर जाना
हरी अपना मान के...
शेर पिटारे राणा जी ने भेजे ले जा मीरा के पास रे
सुमिरन कर मीरा खोलन बैठी बन गए मदन गोपाल रे
ओहो बंसी वाले तू कल फिर आना नहीं फिर जाना
हरी अपना मान के...
सांप पिटारे राणा जी ने भेजे ले जा मीरा के पास रे
कर सुमिरन मीरा खोलन बैठी बन गए फूलन हार रे
ओहो बंसी वाले तू कल फिर आना नहीं फिर जाना
हरी अपना मान के...
कांटों की शैय्या राणाजी ने भेजी ले जा मीरा के पास रे
ओहो बंसी वाले तू कल फिर आना नहीं फिर जाना
हरी अपना मान के...
No comments:
Post a Comment