संगमरमर के महल बनाए, बामे बहू बेटा ठहराए
हमारी खटिया बाहर बीच बुढ़ापे में
अब क्या हो भोलेनाथ बीच बुढ़ापे में
तरह तरह के पकवान बनाए, सब परिवार बैठ के खाए
हमको रोटी अचार, बीच बुढ़ापे में
अब क्या हो भोलेनाथ बीच बुढ़ापे में
बहू बेटा गाड़ी में घूमे, हम हैं चौकीदार
बीच बुढ़ापे में
अब क्या हो भोलेनाथ बीच बुढ़ापे में
बेटा सुनते नही बेटी सुनती नहीं,अरे बेटा भए गुलाम
बीच बुढ़ापे में
अब क्या हो भोलेनाथ बीच बुढ़ापे में
अरे बड़ी मुश्किल से काया पाई, इसको बड़ी बड़ी मेवा खाई
साबरी सिकुड़ गई खाल, बीच बुढ़ापे में
अब क्या हो भोलेनाथ बीच बुढ़ापे में
अरे सब छोड़ प्रभु तेरे दर आई, तुमसे बड़ी बड़ी आस लगाई
अब कर दो भाव से पार, बीच बुढ़ापे में
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