मेरी चुनरी में लग गयो दाग पिया
पांच तत्व से बनी चुनरी मन मुरख अभिमान पिया
मेरी चुनरी में लग गयो दाग पिया
धोवत फिरूं पर दाग नहीं छूटे तन मन धन सब वार दिया
मेरी चुनरी में लग गयो दाग पिया
सतगुरु धोबी मिले सहज में, दाग जिगर का साफ किया
मेरी चुनरी में लग गयो दाग पिया
ऐसी सतगुरु ने रंगी चुनरिया झिलमिल होय पिया
मेरी चुनरी में लग गयो दाग पिया
कहत कबीर सुनो भई साधो, भाव सागर से पार किया
मेरी चुनरी में लग गयो दाग पिया
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