कितनी सुंदर आंखें दी हैं, दर्शन तक न करे बाबरी
तोए कैसे राम मिलेंगे
घर धंधे में फंसी बाबरी तोए कैसे राम मिलेंगे
कितने सुंदर कान दिए हैं, सत्संग तक न सुनो बाबरी
तोए कैसे राम मिलेंगे
घर धंधे में फंसी बाबरी तोए कैसे राम मिलेंगे
कितनी सुंदर जीभ दी है, सुमिरन तक न कियो बाबरी
तोए कैसे राम मिलेंगे
घर धंधे में फंसी बाबरी तोए कैसे राम मिलेंगे
कितने सुंदर हाथ दिए हैं, सेवा तक न करी बाबरी
दान तक न करो बाबरी तोए कैसे राम मिलेंगे
घर धंधे में फंसी बाबरी तोए कैसे राम मिलेंगे
कितने सुंदर पैर दिए हैं, तीरथ तक न गई बाबरी
मंदिर तक न गई बाबरी तोए कैसे राम मिलेंगे
घर धंधे में फंसी बाबरी तोए कैसे राम मिलेंगे
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