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काशी नगरी से आये हैं शिव शंकर
नंदी पे सवार होके डमरू बजा के
चले आ रहे हैं भोले हरी गुण गा के
पहने मुंडो की माल ऊपर से ओढ़े मृग छाल
काशी नगरी से आये हैं शिव शंकर
लेके गौरा जी को साथ...
हाथ में त्रिशूल लिए भस्म रमायें
झोली गले डाल वो तो गोकुल में आये
पहुंचे नन्द जी के द्वार शिव जी बोले बारम्बार
काशी नगरी से आये हैं शिव शंकर
लेके गौरा जी को साथ...
कहाँ गया यशोदा तेरा कृष्ण कन्हैया
दरश करा दो मैया लू में बलैयां
सुनके नारायण अवतार आया हूँ मैं तेरे द्वार
काशी नगरी से आये हैं शिव शंकर
लेके गौरा जी को साथ...
देख के यशोदा बोली जाओ जोगी जाओ
द्वार पे मेरे नहीं डमरू बजाओ
डर जायेगा मेरा लाल देखेगा सर्पों की माल
काशी नगरी से आये हैं शिव शंकर
लेके गौरा जी को साथ...
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