जगत जननी मेरी मैया मेरा उद्धार कैसे हो
अंधेरा छा रहा संसार का उजियार कैसे हो
न सोना है न चांदी है न हीरा है न मोती है
तेरे मंदिर में ओ मैया तेरा श्रृंगार कैसे हो
जगत जननी मेरी मैया...
न वाणी है न विद्या है न वाणी में मधुरता है
तेरे मंदिर में ओ मैया तेरा गुणगान कैसे हो
जगत जननी मेरी मैया...
न श्रद्धा है न भक्ति है न में में भावना अति है
तेरे भक्तों से ओ मैया तेरा सम्मान कैसे हो
जगत जननी मेरी मैया...
दया दृष्टि इधर कर दो ज़रा मां इस तरफ देखो
पड़ी मंझदार में नैया मां भव से पार कैसे हो
जगत जननी मेरी मैया...
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