माली बन के बाग़ लगाया, तोता बन के सब फल खाए
सारी मेवा खा गया तू, जहां देखूं वहां तू ही तू
ऐसी रचना रच गया तू जहां देखूं वहां तू ही तू
बाबू बन के रेल चलाई टी टी बन के टिकट कटाई
रेल का इंजन बन गया तू, जहां देखूं वहां तू ही तू
ऐसी रचना रच गया तू जहां देखूं वहां तू ही तू
बालक बन के मिट्टी खाई मां यशोदा से मुख दुबकाई
तीनों लोक दिखाए गया तू, जहां देखूं वहां तू ही तू
ऐसी रचना रच गया तू जहां देखूं वहां तू ही तू
जमुना पे तेने गैय चराई, मधुबन में तेने रास रचयो
गोवर्धन पर्वत उठाए गयो तू, जहां देखूं वहां तू ही तू
ऐसी रचना रच गया तू जहां देखूं वहां तू ही तू
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