Tuesday, April 18, 2023

छपे हैं अखबार मेरी समधन के - Chhape Hain Akhbaar Meri Samdhan Ke - LYRICS -

छपे हैं अखबार मेरी समधन के, २

ये चश्मे वाले बुड्ढे जो गलियों में खड़े हैं,
यही हैं यार मेरी समधन के, छपे हैं अखबार...

ये नन्हे मुन्ने बच्चे जो आंगन में खेले,
यही है औलाद मेरी समधन की, छपे हैं अखबार...

ये पीली पीली साड़ी और लाल ब्लाउज
दिला के ले यार मेरी समधन के, छपे हैं अखबार...

ये नौलक्खा हार और मीनेदार कंगना 
चुरा के लाए यार मेरी समधन के, छपे हैं अखबार...

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