में बंद कली थी बागों की, सतगुरु ने फूल खिलाया है
मेरा रोम रोम हर्षाया है,
मुझे दुनिया ताने मार रही, सतगुरु ने गले लगाया है
मेरा रोम रोम हर्षाया है,
मेरी नैया डगमग डोल रही, सतगुरु ने पार लगाया है
मेरा रोम रोम हर्षाया है,
मेरे अंदर दस दरवाजे हैं, सतगुरु ने खोल दिखाया है
मेरा रोम रोम हर्षाया है,
No comments:
Post a Comment