बालापन हंस खेल गंवाया, री बहना जवानी भई बेकाम
उमरिया सारी...
झूठ कपट में ऐसी फंस गई, री बहना लिए न हरि को नाम
उमरिया सारी...
मानव तन पाया भागों से, री बहना भक्ति करूंगी निष्काम
उमरिया सारी...
धन दौलत सब यहीं रह जायेगी, बहना संग न जाए कौड़ी दाम
उमरिया सारी...
महल तिवारे यहीं रह जाएंगे, री बहना संग जाएगी हरी नाम
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