Saturday, March 19, 2022

बालाजी को लाड़ लड़ावे - Balaji Ko Laad Ladaave - LYRICS-https://youtu.be/gL5mFLuL1oE

बालाजी को लाड़ लडावे माता अंजनी

जब बालाजी का जन्म हुआ है सोने के थाल बजावे माता अंजनी
बालाजी को लाड़ लडावे माता अंजनी

जब बालाजी की छठी हुई है लाल लंगोट पहनावे माता अंजनी
बालाजी को लाड़ लडावे माता अंजनी

जब बालाजी का नाम रखा है भर भर थाल लुटावे माताअंजनी
बालाजी को लाड़ लडावे माता अंजनी

जब बालाजी ने खाना सीखाचूरमा के लड्डू खिलावे माताअंजनी
बालाजी को लाड़ लडावे माता अंजनी

जब बालाजी ने चलना सीखाउंगली पकड़ के चलावे
माताअंजनी
बालाजी को लाड़ लडावे माता अंजनी

जब बालाजी ने पढ़ना सीखा राम ही राम रटावे माता अंजनी
बालाजी को लाड़ लडावे माता अंजनी

जब बालाजी ने उड़ना सीखापर्वत पर्वत घुमावे माता अंजनी
बालाजी को लाड़ लडावे माता अंजनी

Thursday, March 17, 2022

Bhartiy Tyohaar

*भारतीय त्यौहार औऱ उनका वैज्ञानिक रहस्य*

होली -  होली का नाम लेते ही रंग रंगीला उत्सव आपके मन में आता है।  पर क्या मालुम है कि इस त्यौहार को मनाने के पीछे हमारे सनातन ऋषि -मुनियो का क्या विज्ञान था , वह समयाभाव और अज्ञानता की वजह से लुप्त हो गया

जैसा क़ि आप जानते हैं कि हमारे देश में चार ऋतुएँ होती है , शरद ऋतु के अंत और ग्रीष्म ऋतू के आरम्भ में फागुण  महीने में यह त्यौहार मनाया जाता है।  

जो स्वरूप आज इस त्यौहार का है वह 
प्राचीन काल नहीं था , और न ही रासायनिक रंगो का प्रयोग होता था। 

सभी पड़े लिखे लोग जानते हैं कि यदि शरीर से उत्सर्जन पदार्थ नहीं निकालेंगे तब वह शरीर में हानिकारक तत्व को पैदा कर देते हैं, और जब वह बाहर निकलते हैं तब बहुत कष्ट होता है। 

शरद ऋतुओ में हमारी त्वचा से पसीना जो एक उत्सर्जन पदार्थ है रुक जाता है जिससे त्वचा के रन्द्र यानि छेद रुक जाते है और जब बाहर के वातावरण का तापमान बढ़ जाता है तब त्वचा में छोटे छोटे दाने दाने निकलने लगते है , जो बहुत कष्टकारी होते हैं , बच्चो में अक्सर चैत्र मॉस में 
चेचक और खसरा भी इसी का परिणाम है। 

इसी कष्टकारी पीड़ा को दूर करने के लिए हमारे ऋषियों ने होली नामक उत्सव को मनाने की परम्परा का प्रारम्भ किया था,

इसमें पूर्णिमा को चांदनी रात में आग जलाकर हवन करके वातावरण को इतना गर्म कर दिया जाता है कि शरीर से पसीना निकलने लगे और शरीर के रन्द्र खुल जाए , फिर क़िसी भीगे कपडे से शरीर को साफ कर लिया जाता है। 

अगले दिन टेसू /पलाश के फूल जो पहले दिन पानी में भिगो दिए जाते है उनको पिचकारी की सहायता से एक दुसरे पर डालकर होली मनाते है जिसमे कपडे फूलो के रंग से काफी टाइम तक भीगे रहने की वजह से पसीना जो अम्लीय होता है और टेसू जो क्षारीय होता है , त्वचा को उदासीनीकरण कर देते हैं।  

आपने देखा होगा कि घमौरियों के लिए भी केल्शियम कार्बोनेट पाउडर लगाकर उदासीनीकरण करके (जो कि ठोस रूप में होता है ) त्वचा को और नुक्सान पहुचाते है रंद्र को रोक देते हैं , जबकि तरल रूप में होली खेलकर हम पूरे साल में एक बार अपने शरीर की शुद्धि ही नहीं पूरे समाज को स्वस्थ रखते है , पर ध्यान रहे रासायनिक रंगो से नहीं। 

देर से ही सही पर अपने ऋषियों की परम्परा को सनातन वैज्ञानिकता से जीवित रखिये 
और सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का सन्देश का दुनिया को दीजिये !!

मेरी पांचों उंगलियां बड़े काम की - Meri paanchon Ungaliya Bade Kaam ki - LYRICS-https://youtu.be/Qsf9eNfqycQ

मेरी पांचों उंगलियां बाद काम की जय बोलो सीताराम की
जय बोलो सीताराम की२

पहली उंगलियां ने मुंदरी पहनी जाने मुंदरी पहनी राम नाम की
जय बोलो सीताराम की

दूजी उंगलियां ने रोरी लगाई जाने रोरी लगाई हरी नाम की
जय बोलो सीताराम की

तीजी उंगलियां ने माला फेरी जाने माला फेरी हरिनाम की
जय बोलो सीताराम की

चौथी उंगलियां ने राह बताई जाने राह बताई चारों धाम की
जय बोलो सीताराम की

पांचे अंगूठे ने चुटकी बजाई जाने चुटकी बजाई हनुमत नाम की जय बोलो सीताराम की

छठी हथेली ने टाली बजाई जाने टाली बजाई सत्संग की
जय बोलो सीताराम की

चंदा छुप मत जइयो आज - Chanda Chup Mat Jaiyo Aaj- LYRICS-

चंदा छुप मत जइयो आज श्याम संग होरी खेलूंगी
होरी खेलूंगी श्याम संग होरी खेलूंगी

टीका पहनूं झाले पहनूं गजरा लगाऊंगी
कर घूंघट की ओट श्याम संग होरी खेलूंगी


(इसी तरह आगे बढ़ाएं )

फागुन में घर आजा सजनवा - Fagun Me Ghar Aaja Sajanva - LYRICS-https://youtu.be/-WRT7KYOcEI

फागुन में घर आजा सजनवा होली की आई बहार सजना हो सजना होली की आई बहार सजना

टीका भी लाना सजना नथनी भी लाना
बिंदिया पे आई बहार सजना हो सजना
(इसी प्रकार से सभी गहनों का नाम लेकर गाना है)

तेरी मीठी लागे छाछ - Teri Mithi Laage Chhach - LYRICS-https://youtu.be/MLZrAW1O10E

तेरी मीठी लागे छाछ गुजरिया देजा थोड़ी सी

तेरी छाछ के काजे मैं गोकुल से आयो
मैं माखन रयो चुराए गुजरिया देजा थोड़ी सी
तेरी मीठी लागे छाछ गुजरिया देजा थोड़ी सी

तेरी छाछ के काजे मैं जमुना तट से आयो
मैं चीरे रहो चुराए गुजरिया देजा थोड़ी सी
तेरी मीठी लागे छाछ गुजरिया देजा थोड़ी सी

तेरी छाछ के काजे मैं वृंदावन से आयो
मैं बंसी रहो बजाय गुजरिया देजा थोड़ी सी
तेरी मीठी लागे छाछ गुजरिया देजा थोड़ी सी

तेरी छाछ के काजे मैं बरसाने से आयो 
मैं होरी रहो मचाए गुजरिया देजा थोड़ी सी
तेरी मीठी लागे छाछ गुजरिया देजा थोड़ी सी

तेरी छाछ के काजे मैं गोवर्धन से आयो
मैं गिरिवर रहो उठाए गुजरिया देजा थोड़ी सी
तेरी मीठी लागे छाछ गुजरिया देजा थोड़ी सी

तेरी छाछ के काजे मैं मथुरा से आयो
मैं कंस रहो पछाड़ गुजरिया देजा थोड़ी सी
तेरी मीठी लागे छाछ गुजरिया देजा थोड़ी सी

तेरी छाछ के काजे मैं तो सत्संग से आयो
मैं दर्शन रही कराए गुजरिया देजा थोड़ी सी
तेरी मीठी लागे छाछ गुजरिया देजा थोड़ी सी

Friday, March 11, 2022

फागुन में घर आ जा सजनवा - Fagun Me Ghar Aa Ja Sajanva - LYRICS-https://youtu.be/dtuqv1Kf_HQ

फागुन में घर आजा सजनवा होली की आई बहार सजना
हो सजना होली की आई बहार सजना

टीका भी लाना सजना नथनी भी लाना 
बिंदिया पे आई बहार सजना हो सजना
फागुन में घर आजा सजनवा होली की आई बहार सजना

हरवा भी लाना सजना कॉलर भी लाना
माला पे आई बहार सजना हो सजना
फागुन में घर आजा सजनवा होली की आई बहार सजना

कंगना भी लाना सजना चूड़ी भी लाना
मेंहदी पे आई बहार सजना हो सजना
फागुन में घर आजा सजनवा होली की आई बहार सजना

पायल भी लाना सजना बिछुए भी लाना
महावार पे आई बहार सजना हो सजना
फागुन में घर आजा सजनवा होली की आई बहार सजना

लहंगा भी लाना सजना चोली भी लाना
चुनरी पे आई बहार सजना हो सजना
फागुन में घर आजा सजनवा होली की आई बहार सजना