राधा के पिया मेरी रंग दे चुनरिया
ऐसी रंग रंगियो जो कभू न छूटे
धोबिनिया धोबे चाहे सारी उमरिया
सांवरे पिया मेरी रंग दे चुनरिया
लाल न रांगियो हरी भी न रंगीयो
अपने ही रंग में रंग दे चुनरिया
सांवरे पिया मेरी रंग दे चुनरिया
चुनरी ओढ़ बागों में गई थी
सांवरे की लग गई मुझको नजरिया
सांवरे पिया मेरी रंग दे चुनरिया
वैध न बुलाऊंगी दवाई भी न खाऊंगी
सांवरे पिया मुझपे डाल दो नजरिया
सांवरे पिया मेरी रंग दे चुनरिया
उंगली पकड़ जाने पौंचा पकड़ो
सांवरे ने झार दयि राधा की नजरिया
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