मीरा के साथी बहुत हुए जब जहर पिया तब कोई नहीं
प्याले पे आ गए बनवारी दुनियां में अपना कोई नहीं
कान्हा ये दुनियां मतलब की दुनियां में अपना कोई नहीं
द्रौपदी के साथी बहुत हुए जब चीर खींचा तब कोई नहीं
साड़ी पे आ गए बनवारी दुनियां में अपना कोई नहीं
कान्हा ये दुनियां मतलब की दुनियां में अपना कोई नहीं
हरिचंद के साथी बहुत हुए जब घड़ा उचा तब कोई नहीं
गगरी पे आ गए बनवारीबदुनियां में अपना कोई नहीं
कान्हा ये दुनियां मतलब की दुनियां में अपना कोई नहीं
प्रहलाद के साथी बहुत हुए जब प्राण गए तब कोई नहीं
गोदी में उठा लिया बनवारी दुनियां में अपना कोई नहीं
No comments:
Post a Comment