गौरा मान जाओ जाके घर द्वार नहीं है
शीश भी के चंदा विराजे, मुझे ऐसा त्यागी पसंद नहीं है
गौरा मान जाओ जाके घर द्वार नहीं है
गले भोले के सर्पों की माला, मुझे ऐसा सपेरा पसंद नहीं है
गौरा मान जाओ जाके घर द्वार नहीं है
हाथ भोले के डमरू बिराजे, मुझे ऐसा मदारी पसंद नहीं है
गौरा मान जाओ जाके घर द्वार नहीं है
संग भोले के नदिया विराजे, मुझे ऐसा व्यापारी पसंद नहीं है
गौरा मान जाओ जाके घर द्वार नहीं है
अंग भोले के भस्मी विराजे, मुझे ऐसा अघोरी पसंद नहीं है
गौरा मान जाओ जाके घर द्वार नहीं है
भोग भोले के भांग धतूरा, मुझे ऐसा नशेड़ी पसंद नहीं है
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