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मत फोड़ दही की मटकी
मैं हूँ ग्वालिन बरसाने की
तेरी धौंस में नहीं आने की
अब तेरो रस्तो बंद करा दूंगी
मत फोड़ दही की मटकी
कान्हा अब तोये...
मात जसोदा से कह आई
घर चल तेरी होगी पिटाई
अब तोये ओखल से बंधवाय दूंगी
मत फोड़ दही की मटकी
कान्हा अब तोये...
भयो अनोखो तू उत्पाती
तोकू नैक शरम नही आती
अब तेरी कंस पे खबर करा दूंगी
मत फ़ोड दही की मटकी
कान्हा अब तोये...
एक कांवरिया कारी तोपे
रतन जड़े भर भूषण तोपे
एक भी भूषण खोये गयो
भागे फिरेंगे सब रे ग्वाला
अब चोरी में नाम लिखा दूंगी
मत फोड़ दही की मटकी
कान्हा अब तोये...
मैंने कान्हा नहीं पहचाने
तेरी मेरी प्रीत पुरानी
अब तोये नैनन बीच बसा लुंगी
मत फोड़ दही की मटकी
कान्हा अब तोये...
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