आज अवध से राम चले है वनवास
लक्ष्मण जी ने कहा सुनो मेरे भैया
तुम तो वाण को जाए रहे हो में भी हूं तैयार
आज अवध से राम चले है वनवास
सीता की ने कहा सुनो मेरे पिया तुम बिन कैसे लगा रहे मेरा जिया पति के चरणों में होता है नारी का उद्धार
आज अवध से राम चले है वनवास
जमुना तट पे पहुंच गए तीनों प्राणी केवट जी से बोल
रहे मीठी वाणी नाव इधर को लाई मेरे भैया जाना है उस पार आज अवध से राम चले है वनवास
पंचवटी पे जाकर के विश्राम किया सुपर्ण खा ने आकर के ससुराल किया लक्ष्मण जी को गुस्सा आया नकटी कर
दी नाक आज अवध से राम चले है वनवास
रावण ने जब सीना क्रोध में में आया हर ली सीता नार हरि हर की रानी इस पापी नाश कर अपने कुल का आज
आज अवध से राम चले है वनवास
घर घर में हो रही चर्चा मच रही हाहाकार
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