Monday, June 15, 2020

Kaisi Samadhi Lagai Re -LYRICS

कैसी समाधि लगाई र भोले अंखियां न खोले

यमुना जगावें त्रिवेणी जगावे गंगा लटों में समाई रे
भोले अंखियां न खोले
कैसी समाधि लगाई र भोले अंखियां न खोले
चंदा जागावें तारे जागावे सूरज ने तपन बढाई रे
भोले अंखियां न खोले
कैसी समाधि लगाई र भोले अंखियां न खोले
ब्रह्मा जगाबें विष्णु जगावेन नारद ने वीणा बजाई रे
भोले अंखियां न खोले
कैसी समाधि लगाई र भोले अंखियां न खोले
रामजी जागावेन सीताजी जगावेण हनुमत ने ताली  
बजाई रे भोले अंखियां न खोले
कैसी समाधि लगाई र भोले अंखियां न खोले
राधा जगवे रुकमिणी जागवे कृष्ण ने वंशी बजाई रे
भोले अंखियां न खोले
कैसी समाधि लगाई र भोले अंखियां न खोले
संत जगआवे सदगुरु jagave भक्तों नेताली बजाई री
भोले अंखियां न खोले
कैसी समाधि लगाई र भोले अंखियां न खोले
गणपति jagaaave कार्तिक jagaave गौरा ने पायल
छनकाई रे भोले अंखियां न खोले
कैसी समाधि लगाई र भोले अंखियां न खोले

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