हो रही दिन भर मेरा मार याद तिय गाय भैंस की धार
रह गई याद मूल और ब्याज उलझ गई बेटे पोतों में
पगली गई गुरु को भूल उलझ गई बेटे पोतों में
तेरी बहू चैन से सोती तेरे कंधे पोता पोती
पगली हो रही धूलम धूल उलझ गई बेटे पोतों में
पगली गई गुरु को भूल उलझ गई बेटे पोतों में
करती हाय माया हाय माया धूप में काली पड़ गई काया
सारी ढीली पड़ गई खाल उलझ गई बेटे पोतों में
पगली गई गुरु को भूल उलझ गई बेटे पोतों में
पगली अब सूझी तोए किसकी भूली भजन मौज और मस्ती खोव जीवन यूं ही फ़िज़ूल उलझ गई बेटे पोतों में
पगली गई गुरु को भूल उलझ गई बेटे पोतों में
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