Wednesday, June 17, 2020

Pagli Gayi Guru Ko Bhul -LYRICS

पगली गई गुरु को भूल उलझ गई बेटे पोतों में
हो रही दिन भर मेरा मार याद तिय गाय भैंस की धार
रह गई याद मूल और ब्याज उलझ गई बेटे पोतों में
पगली गई गुरु को भूल उलझ गई बेटे पोतों में

तेरी बहू चैन से सोती तेरे कंधे पोता पोती
पगली हो रही धूलम धूल उलझ गई बेटे पोतों में
पगली गई गुरु को भूल उलझ गई बेटे पोतों में

करती हाय माया हाय माया धूप में काली पड़ गई काया
सारी ढीली पड़ गई खाल उलझ गई बेटे पोतों में
पगली गई गुरु को भूल उलझ गई बेटे पोतों में

पगली अब सूझी तोए किसकी भूली भजन मौज और मस्ती खोव जीवन यूं ही फ़िज़ूल उलझ गई बेटे पोतों में
पगली गई गुरु को भूल उलझ गई बेटे पोतों में

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