Sunday, June 16, 2019

Gyan Bin Baaheli - Lyrics


kese sadguru atari chadh jau
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कैसे सद्गुरु अटारी चढ़ जाऊ 
ज्ञान बिन बाहेली 
तृष्णा सास बड़ी निगोड़ी चरखा कते दिन और रात


ससुर हमारे बड़े घमंडी 
पौरी बिछाए लयी खाट
ज्ञान बिन बाहेली

कामक्रोध मद लोभ हमारे चारों देवर जेठ
चारोंभैया चारों कोने पहरो लगावे दिन रात 
ज्ञान बिन बाहेलि

नंदी हमारी बड़ी घमंडिन धरती धरे ना पैर
मोह उठाए ऊपर डोले नीचे नवावे ना नार
ज्ञान बिन बहेली 

पुण्य की बल्ली धरम के डंडा अचक अचक चढ़ जाऊं
चढ़त चढ़त जब चढ़ गई रे सदगुरु के पकड़ लय पाए 
ज्ञान बिन बाहे ली

ज्ञान को दीप जलन लागो रे  जगमग जगमग होए
भक्क उजीतो है गयो रे हृदय के खुले हैं किवार
ज्ञान बिन बाहे ली

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