Monday, March 8, 2021

सत कर बोलो - Sat Kar Bolo - LYRICS-

सत कर बोलो सत कर बोलो सत की पौढ़ी चढ़ जैयो
हरि भजन बिन मुक्ति न होवे व्रत करो एकादशी को

ग्यारस के दिन कपड़े धोती जल में मैल बहा देती
या करनी से बनी है मछली पेट पकड़ लिया वो रोती
सत कर बोलो सत कर बोलो सत की पौढ़ी चढ़ जैयो
हरि भजन बिन मुक्ति न होवे व्रत करो एकादशी को



ग्यारस के दिन चौका देती और दीवाल व झाडे
या करनी से बनी मकड़ी जाल पूरती वो फिरती
सत कर बोलो सत कर बोलो सत की पौढ़ी चढ़ जैयो
हरि भजन बिन मुक्ति न होवे व्रत करो एकादशी को


आए गए का आदर न करती भूखे को भोजन न देती
या करनी से बनी है कूतिया घर घर झांकत वो फिरती
सत कर बोलो सत कर बोलो सत की पौढ़ी चढ़ जैयो
हरि भजन बिन मुक्ति न होवे व्रत करो एकादशी को


सूरज के ताने कुल्ला करता टेक पराई वो नारी
या करनी से बना है कोढ़ी दर दर मारा वो फिरता
सत कर बोलो सत कर बोलो सत की पौढ़ी चढ़ जैयो
हरि भजन बिन मुक्ति न होवे व्रत करो एकादशी को


आए गए का आदर करती भूखे को भोजन देती
या करनी से बनी है राधिका श्री कृष्ण संग वो रहती
सत कर बोलो सत कर बोलो सत की पौढ़ी चढ़ जैयो
हरि भजन बिन मुक्ति न होवे व्रत करो एकादशी को

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