Saturday, May 18, 2019

Hari Har Ek Hain Dono - Lyrics

bhagwan bhakti
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हरी हर एक है दोनों 
न ये कम है न वो कम है 

वो रहते हैं हिमालय में
वो रहते है क्षीरसागर में
दोनों रहते ससुर घर है
न वो कम है न वो कम है
हरी हर एक है दोनों ...
जटा में इनके गंगा है
चरण में उनके बहती है
दोनों ही पाप नाशक है
न ये कम है न वो कम है
हरी हर एक है दोनों ...
गले में नाग इनके है
वो शेषशय्या पे सोते हैं
दोनों नागों से खेलत हैं
न ये कम है न वो कम है
हरी हर एक है दोनों ...
लगाते ये वभुती हैं
वो चन्दन लेप लगाते हैं
दोनों ही मस्त रहते हैं
न ये कम है न वो कम है
हरी हर एक है दोनों ...
ये पीते भंग का प्याला
वो पीते प्रेम का प्याला
दोनों ही नशे में रहते हैं
न ये कम है न वो कम है
हरी हर एक है दोनों ...
इन्हें कहते उभापति हैं
उन्हें कहते रमापति हैं
दोनों नारी के वश में हैं
न ये कम हैं न वो कम है
हरी हर एक है दोनों ...

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