अब का होये भोलेनाथ बीच बुढ़ापे में
संगमरमर के महल बनाए वामें बहू बेटा ठहराए
हमरी खटिया बाहर बीच बुढ़ापे में
पूरी और पकवान बनाए सब परिवार बैठके खाए
हमको रोटी चार बीच बुढ़ापे में
बहू सुनती नहीं बेटा सुनते नहीं बेटा भाए गुलाम
बीच बुढ़ापे में
बहू बेटा गाड़ी में घूमें हम हैं चौकीदार
बीच बुढ़ापे में
सबे छोड़ भोले तेरे दर आई अरे कर दो भव से पार
बीच बुढ़ापे में
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