दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी
इसे लाया है कौन ... मेरे रघुवर जी ... रघुबर जी
मात भी छोड़े मैंने पिता भी छोड़े
छोड़ी जनकपुरी .. मेरे बाबुल की ..बाबुल की
दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी...
संग भी छोड़ा मैंने साथ भी छोड़ा
छोड़ी संग सहेली मेरे बचपन की.. बचपन की
दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी...
सास भी छोड़े मैंने सुसर भी छोड़े
छोड़ी अवधपुरी.. मेरे ससुरा की .. .ससुरा की
दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी...
राम भी छोड़े मैंने लक्ष्मण भी छोड़े
छोड़ी पंचवटी मेरे रघुवर की ... रघुवर की ..
दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी...
इसे लाया है कौन ... मेरे रघुवर जी ... रघुबर जी
मात भी छोड़े मैंने पिता भी छोड़े
छोड़ी जनकपुरी .. मेरे बाबुल की ..बाबुल की
दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी...
संग भी छोड़ा मैंने साथ भी छोड़ा
छोड़ी संग सहेली मेरे बचपन की.. बचपन की
दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी...
सास भी छोड़े मैंने सुसर भी छोड़े
छोड़ी अवधपुरी.. मेरे ससुरा की .. .ससुरा की
दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी...
राम भी छोड़े मैंने लक्ष्मण भी छोड़े
छोड़ी पंचवटी मेरे रघुवर की ... रघुवर की ..
दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी...
बहुत अच्छा भजन
ReplyDeleteThank you please keep visiting and keep sharing...
DeleteNice
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