मेरा तार हरि से जोड़े कि ऐसा कोई संत मिले।
मेरे मन का रस्ता मोडे कि ऐसा कोई संत मिले।
संत मिलन के बड़े महादम
दुर्गम जग में संत समागम
मेरे मन के भ्रम को तोड़े कि ऐसा कोई संत मिले।
मेरा तार हरि से जोड़े...
भटकत भटकत तट नहीं मिलता
मन मेरा रोके नहीं रुकता
मेरे मन का रोड़ा रोके कि ऐसा कोई संत मिले।
मेरा तार हरि से जोड़े...
माया से जो दूर हटावे
मन का जो अज्ञान मिटावे
मुझे सतगुण देदे थोड़े कि ऐसा कोई संत मिले।
मेरा तार हरि से जोड़े...
कोई ऐसा संत बतादे
भव सागर की राह बतावे
मेरी बांह पकड़ के मिला दे कि ऐसा कोई संत मिले।
मेरा तार हरि से जोड़े...
इस मन के है पांच ऊ बैरी
पांच ऊ काले नाग है जहरी
इनको मार भगा दे ऐसा कि ऐसा कोई संत मिले।
मेरा तार हरि से जोड़े...
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