जब काया का बचपन आया मां की गोद में खेली
ये काया तेरी धोखे की हवेली
जब काया हुई पांच बरस की सखियों के संग खेली
ये काया तेरी धोखे की हवेली
जब काया हुई पंद्रह बरस की खिल गई फूल चमेली
ये काया तेरी धोखे की हवेली
जब काया को अाई है जवानी साजन के संग हो ली
ये काया तेरी धोखे की हवेली
जब काया को आया है बुढ़ापा खात पे सो ली
ये काया तेरी धोखे की हवेली
चार जने जब में को आए चुप चुप के वो री ली
ये काया तेरी धोखे की हवेली
चार जाने जब लेे गए उठा के मरघट बीच जलाई
ये काया तेरी धोखे की हवेली
फूंक फांक के घर को आए बेटी हिय भर रो ली
ये काया तेरी धोखे की हवेली
कहते कबीर सुनो भाई साधो यही जीवन की सच्चाई
ये काया तेरी धोखे की हवेली
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