शीश भोले के गंगा विराजे, कैसे जल मैं चढ़ाऊं भोले नाथ
ऊंचे पर्वत वाले
तुझे शंकर कहूं कि भोलेनाथ रे ऊंचे पर्वत वाले
माथे भे के चंदा विराजे, तुझे कैसे चंदन लगाऊं भोलेनाथ
ऊंचे पर्वत वाले
तुझे शंकर कहूं कि भोलेनाथ रे ऊंचे पर्वत वाले
गले भोले के सर्पों की माला, तुझे कैसे हार पहनाऊं भोलेनाथ ऊंचे पर्वत वाले
तुझे शंकर कहूं कि भोलेनाथ रे ऊंचे पर्वत वाले
हाथ भोले के डमरू विराजे कैसे तान सुनाऊं भोलेनाथ
ऊंचे पर्वत वाले
तुझे शंकर कहूं कि भोलेनाथ रे ऊंचे पर्वत वाले
संग भोले के गौरा विराजे गोदी में गणपति विराजे
मैं कैसे दर्शन पाऊं भोलेनाथ ऊंचे पर्वत वाले
तुझे शंकर कहूं कि भोलेनाथ रे ऊंचे पर्वत वाले
चरणों में भोले के नन्दी विराजे मैं कैसे शीश झुकाऊं
भोलेनाथ ऊंचे पर्वत वाले
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