कैसे आएंगे भगवान कैसे आएंगे भगवान
चंचल में को नहीं संवारा चंचल में को नहीं संवारा
कैसे आएंगे भगवान कैसे आएंगे भगवान
हर कोने कलमल कसाय की लागी हुई है ढेरी
नहीं ज्ञान कि किरण कहीं भी हर कोठरी अंधेरी
आंगन चौबारा अंधियारा, आंगन चौबारा अंधियारा
कैसे आयेंगे भगवान कैसे आएंगे भगवान
हृदय हमारा पिघल न पाया जब देखा दुखियारा
किसी पंथ भूले ने हमसे पाया नहीं सहारा
सूखी है करुणा की छाया सूखी है करुणा की छाया
कैसे आएंगे भगवान कैसे आएंगे भगवान
अंतर के पेट खोल देख ली ईश्वर पास मिलेगा
हर प्राणी में परमेश्वर का आभास मिलेगा
सच्चे मन से नहीं। बुलाया सच्चे मन से नहीं बुलाया
कैसे आएंगे भगवान कैसे आएंगे भगवान
निर्मल में हो तो रघुनायक शबरी के घर जाते
श्याम सूर बांह पकड़ साग बिदुर घर खाते
इस पर हमने नहीं विचारा इस पर हमने नहीं विचारा
कैसे आएंगे भगवान कैसे आएंगे भगवान
No comments:
Post a Comment