बुला लो वृंदावन में हो हो हो
सौंप दिया अब जीवन तुमको मोहन काई विध
राखी हमको हम आन पड़े तेरे द्वार
बुला लो वृंदावन में
मन बस गयो नन्द किशोर बुला लो वृंदावन में
वृंदावन की धूल बना को यमुना तट का घाट बना लो
मैं तो सेवा करूं हाथ जोड़
बुला लो वृंदावन में
मन बस गयो नन्द किशोर बुला लो वृंदावन में
नौकर बन तेरी सेवा करूंगी तन मन धन सब अर्पण करूंगी, मैं तो दर्शन करूंगी उठ भोर
बुला लो वृंदावन में
मन बस गयो नन्द किशोर बुला लो वृंदावन में
एक अरज प्रभु हमरी तुमसे चरणों की हमे धूल बना लो
हम नहीं जाना कहीं और
बुला लो वृंदावन में
मन बस गयो नन्द किशोर बुला लो वृंदावन में
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