एक मां के दो दो बेटे अपने अपने भाग
एक तो वो राज करती है दूजो मांगे भीख
कर्मों का साथी कोई नहीं
ले लो ले लो रे हरि का नाम कर्मों का साथी कोई नहीं
एक गाय के दो दो बछड़े अपने अपने भाग्य
एक तो वो रथ में चलत है दूजो जोते ते खेत
कर्मों का साथी कोई नहीं
ले लो ले लो रे हरि का नाम कर्मों का साथी कोई नहीं
एक पहाड़ के दो दो पत्थर अपने अपने भाग्य
एक तो मंदिर में लगो है दूजो नाली बीच
कर्मों का साथी कोई नहीं
ले लो ले लो रे हरि का नाम कर्मों का साथी कोई नहीं
एक डाल के दो दो फूल अपने अपने भाग्य
एक तो मंदिर में चढ़ रयो दूजो अर्थी बीच
कर्मों का साथी कोई नहीं
ले लो ले लो रे हरि का नाम कर्मों का साथी कोई नहीं
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