हंस जब जब उड़ा जब अकेला उड़ा
राजा राजा रहे न तो रानी रही
हर चीज यहां आनी जानी रही
न बुढ़ापा रहा न जवानी रही
कहने सुनने को केवल कहानी रही
चार दिन का गए जग में झमेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा जब अकेला उड़ा
जिंदगी...
कोठी बंगले खड़े के खड़े रह गए
हीरे मोती धरे के धरे रह गए
ठाठ सारे पैसे के पड़े रह गए
कुल खजाने गड़े के गड़े रह गए
हंस जब जब उड़ा जब अकेला उड़ा
जिंदगी...
बेबसों को सताने से क्या फायदा
दिल किसी का दुखने से क्या फायदा
नेकी कर बड़ी कमाने से क्या फायदा
हर मानव बराबर न छोटा बड़ा
हंस जब जब उड़ा जब अकेला उड़ा
जिंदगी...
सोच ले सोच ले अपने अंजाम को
भक्ति रस के बिना जीवन किस काम का
पैसा कौड़ी लगे न बिना दाम का
भज ले मोहन मुरारी तू घमश्यम को
कृष्ण राधा नाम एक में ही जुड़ा
हंस जब जब उड़ा जब अकेला उड़ा
जिंदगी...
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