जब हंसा अकेला उड़ जाएगा
माटी के पुतले को क्या तू सजाए,
मलमल के साबुन और तेल लगाए
एक पल में बिगड़ सब जाएगा
जब हंसा अकेला उड़ जाएगा
छूटेगी दौलत खजाने की चाबी
भाई बहन पिता पुत्र नारी
फिर ऐसा समय नहीं आएगा
जब हंसा अकेला उड़ जाएगा
एक दिन तुम्हें जग से जाना पड़ेगा
कर्मों का गट्ठर उठाना पड़ेगा
कोई प्रेमी साथ नहीं जाएगा
जब हंसा अकेला उड़ जाएगा
खाली पिंजरा पड़ा रह जाएगा
जब हंसा अकेला उड़ जाएगा
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