अरे रथ को हांकु सबको बिठाऊं सबको लगाऊं बेड़ा पार
भक्त मेरे मुकुट मणि
मैं सब भक्तों को दास भक्त मेरे मुकुट मणि
अरे सबका खाऊं हृदय से लगाऊं नहीं मेरे जाति विचार
भक्त मेरे मुकुट मणि
मैं सब भक्तों को दास भक्त मेरे मुकुट मणि
अरे जहां जहां भक्त मेरे पैर धरत हैं वहां वहां मेरो ही वास, भक्त मेरे मुकुट मणि
मैं सब भक्तों को दास भक्त मेरे मुकुट मणि
अरे भक्त कहें प्रभु दीखत न हैं हृदय में करूं निवास
भक्त मेरे मुकुट मणि
मैं सब भक्तों को दास भक्त मेरे मुकुट मणि
अरे जो जो भक्त मेरो नाम लेत हैं सबको लगाऊं बेड़ा पार भक्त मेरे मुकुट मणि
मैं सब भक्तों को दास भक्त मेरे मुकुट मणि
अरे जो नर मोकुं पूछत न हैं पडो रहे संसार
भक्त मेरे मुकुट मणि
No comments:
Post a Comment