आयो बुढ़ापा के गयो मेरे कान में बात
मीठा बोलो झुक के चलो लाठी लेे लो हाथ
बुढ़ापा बैरी कोई न पूछे बात
अंदर से वो बेटा आया सुन मैया मेरी बात
चारों कोने पड़े है घर में कहीं बिछा लेे खाट
बुढ़ापा बैरी कोई न पूछे बात
अंदर से वो बहू अाई सुन सासू मेरी बात
घर की चाबी हमको देदो तुम्हें रहे न कुछ याद
बुढ़ापा बैरी कोई न पूछे बात
बाहर से वो पिता आया सुन दादी मेरी बात
रात भर तुम खों खो करती बाहर बिछा लो खाट
बुढ़ापा बैरी कोई न पूछे बात
बाहर से वो धेवता आया सुन मानी मेरी बात
तुम मरोगी हमें क्या दोगी हम तो करेंगे तुम्हें याद
बुढ़ापा बैरी कोई न पूछे बात
बाहर से वो सदगुरू आए सुन पगली मेरी बात
बुढ़ापा बैरी कोई न पूछे बात
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