चार बजे उठ चकिया पीसी सारे कुनबे को रोटी बनाई
सारा कर लिया काम माला भूल गई
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई
पड़ोसन बहना आय के बैठ गई पतला बिछाय मैंने वो
बैठा लयी इत उत की कर लई बात माला भूल गई
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई
सांझ भई और भयो अंधेरो साग बनायो रोटी बनाई
खाट बिछाई मैंने बिस्तर लगाए मेरी पड़ते ही लग गई
आंख माला भूल गई
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई
यम के दूत जब लेने को आगे में तो खाट के नीचे
दुबक gayi माला भूल गई
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई
धर्मराज ने हुक्म सुनाया इस बुढ़िया को लाओ खींच
माला भूल गई
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई
धर्मराज की पेशी लागी फिर मांगा है हिसाब
माला भूल गई
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई
क्या तू ए खाया क्या है कमाया क्या किया पुण्य दान
माला भूल गई
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई
बहुत ही खाया मैंने घना कमाया कुछ न किया पुण्य दान
माला भूल गई
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई
झूठ कभी मैंने बोली नहीं है, चुगली भी मैंने करी नहीं है
सांची कहीं है बात माला भूल गई
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई
सास ननद मैंने कभी न सताई देवर बालक समान
माला भूल गई
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई
बहू से कभी न मैंने ताले लगाए समझी अपनी बेटी समान माला भूल गई
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई
गैर आदमी की तरफ न देखा समझा अपना पति भगवान
माला भूल गई
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई
क्या री तू करेगी माला जप के तेरे रोम रोम भगवान
माला भूल गई
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई
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