Wednesday, July 21, 2021

सतगुरु काया की बन गई रेल - Satguru Kaya Ki Bn Gyi Rail - LYRICS-

सतगुरु काया की बन गई रेल रेलगाड़ी अजब निराली है
रेलगाड़ी अजब निराली है रेलगाड़ी अजब निराली है


हाथ पैर के पहिए बन गए दो आंखों के सिग्नल बन गए
दिल का इंजन गजब बनाया रेलगाड़ी चलने वाली है
सतगुरु काया की बन गई रेल रेलगाड़ी अजब निराली है


हाथ पैर के पहिए फुक गए दो आंखों के सिग्नल बुझ गए
दिल का इंजन हो गया फैल ये गाड़ी अब न चाली है
सतगुरु काया की बन गई रेल रेलगाड़ी अजब निराली है

फिर लकड़ी की सेज सजाई उसके ऊपर रेल चढ़ाई
बंदे लगे बहुत से संग रेल कंधे पे उठाई है
सतगुरु काया की बन गई रेल रेलगाड़ी अजब निराली है

कल तक रेल डटे न डाटी आज रेल हो गई माटी
कैसा खूब रचाया खेल रेल की राख बना ली है
सतगुरु काया की बन गई रेल रेलगाड़ी अजब निराली है
रेलगाड़ी अजब निराली है रेलगाड़ी अजब निराली है

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