पहला ज्ञान मेरी आंखों में देना गुरुजी मेरी आंख हुई शैतान, मेरा मन भक्ति में न लगता
दूजा ज्ञान मेरे कानी को देना ये न सुनते तेरा ज्ञान
मेरा मन भक्ति में न लगता
टीका ज्ञान मेरी जिहव्या को देना गुरुजी ये न करती तेरा
सुमिरन, मेरा मन भक्ति में न लगता
चौथा ज्ञान मेरे हाथों को देना गुरुजी ये न करते दान
मेरा मन भक्ति में न लगता
पांचवां ज्ञान मेरे पैरों को देना गुरु ये न आते तेरे दरबार
मेरा मन भक्ति में न लगता
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